Navratri Day 8 – मां महागौरी(Maa Mahagauri)औरअष्टमी पूजा के मंत्र (Ashtami-Mantra)

🌸 Navratri Day 8 – मां महागौरी की अष्टमी पूजा के मंत्रो ,कन्या पूजन मंत्र

                अष्टमी (Ashtami) या नवरात्रि का आठवाँ(Navratri Day 8) दिन मां महागौरी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। उनका स्वरूप शांति, पवित्रता और सौम्यता का प्रतीक है। कथा के अनुसार, कठोर तप से उनका शरीर काला हो गया था, जिसे भगवान शिव ने गंगा स्नान कराकर उज्ज्वल और गौर वर्ण में परिवर्तित किया, और वे महागौरी कहलायीं। अष्टमी के दिन भक्त मां को सफेद पुष्प, नारियल और हलवा-पूरी का भोग अर्पित करते हैं। मां की पूजा से पापों का नाश होता है, घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है तथा विवाह योग्य कन्याओं को विशेष फल प्राप्त होता है।अष्टमी पूजा(ashtami Puja ) एवं कन्या पूजा में मंत्रो (ashtami mantra ) का विशेष महत्त्व है ।

“पिछले दिन की कथा में आपने जाना Day 7  – मां कालरात्रि …”

नवरात्रि का आठवाँ (Navratri Day 8)दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है।
महागौरी का स्वरूप सौम्यता, पवित्रता और शांति का प्रतीक है।
अष्टमी का यह दिन कन्या पूजन और हवन (ashtami Puja के लिए विशेष प्रसिद्ध है।


🕉️ मां महागौरी का स्वरूप

  • श्वेत वर्ण, अत्यंत दिव्य और सुंदर

  • चार भुजाएँ – त्रिशूल और डमरू धारण, वर और अभय मुद्रा

  • वाहन – वृषभ (नंदी)

  • सफेद वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित

 

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🌍मां महागौरी की कथा

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा होती है। उनका स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और पवित्र है। वे श्वेत वर्ण की, चार भुजाओं वाली और सफेद वस्त्र धारण किए हुए दिखाई देती हैं। मां महागौरी का वाहन वृषभ (नंदी बैल) है।


🕉️ कठोर तपस्या से काले वर्ण की कहानी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर कठोर तप किया।
उनका तप अत्यंत कठिन था — वे कई वर्षों तक जंगल में रही, केवल फल और पत्तों पर जीवन यापन किया, और कभी-कभी तो बिना भोजन और पानी के भी तप करती रहीं।
इस कठोर तपस्या के कारण उनका शरीर दुर्बल हो गया और उनका वर्ण काला पड़ गया।


🌼 भगवान शिव का प्रसन्न होना

उनकी इस अनंत तपस्या से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए।
उन्होंने मां पार्वती के तप की परीक्षा ली और उन्हें अपना स्वीकार किया।
तभी मां पार्वती का काला पड़ चुका शरीर गंगा जल से स्नान कराकर पुनः गौरवर्ण और दिव्य रूप में बदल गया।
तब वे महागौरी के नाम से विख्यात हुईं।


🌸 अष्टमी पूजा विधि (Step-by-Step)

🕖 प्रातः कालीन तैयारी

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. घर या मंदिर में पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।

  3. लाल या सफेद कपड़े पर मां दुर्गा/महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  4. कलश स्थापना करें –

    • तांबे/पीतल के कलश में जल भरें।

    • उसमें आम के पत्ते लगाएँ और ऊपर नारियल रखें।

    • कलश पर रोली और अक्षत से तिलक करें।

🪔 मां महागौरी की पूजा

  1. दीपक जलाकर “ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का उच्चारण करें।

  2. मां को चंदन, अक्षत, पुष्प और रोली अर्पित करें।

  3. सफेद फूल (विशेषकर चमेली या गेंदा) चढ़ाएँ।

  4. नारियल, हलवा-पूरी और चने का भोग लगाएँ।

  5. दुर्गा सप्तशती, देवी स्तुति या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

1. संकल्प मंत्र

कलश और देवी के समक्ष हाथ जोड़कर संकल्प लें –

“मम सर्वपापक्षय पूर्वक आयुरारोग्य ऐश्वर्याभिवृद्ध्यर्थं महागौरी पूजनं करिष्ये।”
(अर्थ: मैं सभी पापों के क्षय और आयु, आरोग्य व ऐश्वर्य की वृद्धि के लिए महागौरी का पूजन करता/करती हूँ।)


2. आवाहन मंत्र

“ॐ देवी महागौर्यै नमः, आवाहयामि, स्थापयामि।”
(अर्थ: हे देवी महागौरी! मैं आपको अपने पूजा स्थान पर आवाहन व स्थापना करता हूँ।)


3. ध्यान मंत्र

“वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्।।
श्वेतवृष्संस्थिता श्वेतवर्णा श्वेताम्बरा पराम्।
श्वेतगन्धान्यलिप्ता श्वेतपुष्पसुपूजिता।।
श्वेतालङ्कार भूषाढ्या श्वेतचन्द्रार्धशेखराम्।
श्वेतार्क मण्डलामध्यस्था श्वेतवर्ण प्रज्वलाम्।।

(अर्थ: मैं मां महागौरी को प्रणाम करता हूँ, जिनका स्वरूप श्वेत है, जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और श्वेत पुष्पों से पूजित होती हैं।)


4. अर्घ्य और पूजन

मां को अक्षत, पुष्प, धूप-दीप अर्पित करें और यह मंत्र पढ़ें –

“ॐ महागौर्यै नमः पुष्पं समर्पयामि।

अष्टमी हवन मंत्र

प्रत्येक आहुति के साथ बोलें –

“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा।”


5. भोग अर्पण

मां को नारियल, हलवा-पूरी, चना आदि का भोग लगाएँ और यह मंत्र पढ़ें –

“ॐ महागौर्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि।”


6. मंत्र जप

“ॐ देवी महागौर्यै नमः”
(कम से कम 108 बार जप करें।)

🌼 कन्या पूजन (कुमारी पूजन)

अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन करना अनिवार्य माना जाता है।

  1. 2 से 10 वर्ष की आयु की 9 कन्याओं (नवदुर्गा का प्रतीक) को आमंत्रित करें।

  2. उनके चरण धोकर आसन पर बैठाएँ।

  3. उन्हें रोली-अक्षत से तिलक करें और चुनरी ओढ़ाएँ।

  4. उन्हें हलवा-पूरी, काले चने और प्रसाद खिलाएँ।

  5. दक्षिणा और उपहार देकर उनका आशीर्वाद लें।

👉 यदि 9 कन्याएँ उपलब्ध न हों तो कम संख्या में भी यह पूजन किया जा सकता है।

🌼 कन्या पूजन मंत्र

कन्याओं के चरण धोकर यह मंत्र पढ़ें –

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला क्रिया।।“


🌟 पूजा के फल और महत्व

 

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जाने माँ महागौरी का पुरातन महत्त्व…….

                                      मां महागौरी का स्वरूप पवित्रता, शांति और तपस्या का प्रतीक है। उनके दर्शन से यह समझ आता है कि तप और धैर्य जीवन के सबसे कठिन अंधकार को भी प्रकाश में बदल सकते हैं। कथा में जब मां पार्वती का शरीर कठोर तपस्या से काला पड़ गया और भगवान शिव ने उन्हें गंगा स्नान कर गौरवर्ण रूप दिया, तो यह घटना हमें सिखाती है कि आत्मसंयम और विश्वास से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। महागौरी यह संदेश देती हैं कि जीवन में शुद्ध विचार, धैर्य और समर्पण ही वास्तविक सौंदर्य और शक्ति हैं। उनका सफेद वस्त्र और गौरवर्ण यह दर्शाते हैं कि अंततः सत्य, शांति और निर्मलता ही सबसे बड़ी शक्ति है। दर्शन यह है कि जीवन का असली सौंदर्य बाहरी रूप में नहीं, बल्कि भीतर की पवित्रता और आत्मबल में निहित है। मां महागौरी हमें आत्मशुद्धि और दिव्यता का मार्ग दिखाती हैं।

आध्यात्मिक महत्व

  • पाप और नकारात्मकता का नाश।

  • साधक को शांति और पवित्रता की प्राप्ति।

  • भक्ति और तपस्या में सिद्धि।

व्यावहारिक महत्व

  • विवाह योग्य कन्याओं के लिए शुभ फल।

  • घर में सुख, सौभाग्य और समृद्धि।

  • पारिवारिक जीवन में सामंजस्य और शांति।

“आगे  हम जानेंगे Day 9 – मां सिध्हिदात्री  की पूजा का महत्त्व …”

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