Sawan Somwar 2025 me kaise kare Shiv pooja सावन सोमवार 2025(श्रावण मास विक्रम संवत 2082)

Sawan Somwar 2025 me kaise kare Shiv Pooja

savan somwar 2025

 

शिव उर्जा ,शक्ति, संहार और सृजन का प्रतिक है.श्रावण मास के वर्षा काल में वातावरण के अनुकूल शिव अर्थात उर्जा ,शक्ति का ध्यान कर अपने मन, शारीर और चेतना में नए उर्जा का बीज बोयें और नया सृजन करे जैसे प्रकृति में हर फल का नया बीज  नए सृजन के लिए तैयार होता है.

सावन सोमवार(Sawan Somwar 2025) का महापर्व कब से मनाया जाएगा-

वैदिक पंचांग के अनुसार साल 2025 में सावन का महीना 11 जुलाई से 9 अगस्त 2025 तक चलेगा इस बार सावन सोमवार 4 सोमवार का विशेष योग है बन रहा है।

विशेष पूजा विधि-

सावन सोमवार(Sawan Somwar)के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने नियमित क्रिया के बाद स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करके इसके बाद।

ईशान कोड में एक वेदी (पूजा की जगह) बनाएं। फिर उसमें भगवान शिव का शिवलिंग विराजमान करें अब आप गंगाजल और पंचामृत से भोलेनाथ का अभिषेक करे ।

इसके बाद शिवलिंग में  बेलपत्र, सफेद चंदन चढ़ाएं. शिवलिंग को फूलों से शोभित कर  पंचाक्षर मंत्र “ओम नमः शिवाय “ का जाप करें.साधक  महामृत्युंजय मंत्र “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्” का 108 बार भी जाप करे सकते है  ।

सोमवार का व्रत रख कर कथा भी पढ़ सकते हैं अंत में आप भगवान शिव से पूजा में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा याचना करिए। सावन सोमवार का व्रत आप भले ही ना रखें हो पर आपको सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।कोई भी तामसिक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।

रुद्राभिषेक-

भगवान शिव के शिवलिंग का अभिषेक करने की एक हिंदू धार्मिक प्रक्रिया है इसमें विभिन्न प्रकार के पवित्र द्रव्यों से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है और यह माना जाता है कि भगवान अति प्रसन्न होकर सुख समृद्धि स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति का वर देते हैं।रुद्र का अभिषेक जहां रूद्र भगवान शिव का एक रूप है और अभिषेक का अर्थ स्नान से है अर्थात भगवान शिव का अभिषेक करना।यहां भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का विशेष शक्तिशाली प्रक्रिया है।

 

Sawan Somwar 2025 rudrabishek rudra pooja

 

रुद्राभिषेक की विधि –

तैयारी –  सबसे प्रथम भगवान शिव के शिवलिंग को दूध दही शक्कर घी शहद से स्नान कारण अर्थात पंचामृत से स्नान करवाएं। तत्पश्चाप चंदन,ताजे जल,कच्चे दूध और फूलों से अभिषेक करें। अंत में स्वच्छ जलीय गंगाजल से अभिषेक करें।

अभिषेक –  शिवलिंग को गंगाजल दूध से स्नान कारण फिर शिवलिंग पर क्रमशः दूध दही घी शहद गंगाजल पंचामृत चंदन तीर धन हल्दी कुमकुम,बेलपत्र,आक,कमल भगवान शिव को अर्पण करे  शमी पत्र का शिवलिंग में अर्पण करें । शिवलिंग में ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए फुल,पत्र ,द्रव्य का अर्पण करे।

मंत्र –  रुद्राभिषेक के लिए मुख्य मंत्र।

ओम नमः शिवाय-  यह पंचाक्षर मंत्र है।

 महामृत्युंजय मंत्र-  ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
                            उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्

श्रृंगार-  अभिषेक के बाद शिवलिंग को चंदन भस्म अक्षर बेलपत्र धतूरा भांग आदि से  सजा।

भोग –  भगवान भोलेनाथ को फल फूल। पान सुपारी प्रसाद आदि अर्पित करें।

आरती-  तत्पश्चात् भगवान शिव की आरती करें और उनको अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

रुद्राभिषेक के लाभ –  रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यहां पूजा रोगों दुखों से छुटकारा पाने और धन भूमि भवन  में वृद्धि के लिए की जाती है,रुद्राभिषेक से मानसिक                                     शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

मुहूर्त-सावन का पहला सोमवार

सावन का पहला सोमवार व्रत 14 जुलाई को रखा जाएगा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:32 तक रहेगा।

  • ब्रम्ह मुहूर्त काल – सुबह 04.11 से 04.52 तक
  • अभिजित मुहूर्तकाल – दोपहर 11.59 से दोपहर 12.56 तक
  •  प्रदोष काल – सूर्यास्त के समय

   सावन का दूसरा सोमवार

      सावन का दूसरा सोमवार 21 जुलाई को रखा जायेगा इस दिन कामिका एकादशी भी है अर्थात एकादशी और सावन का दूसरा सोमवार दोनों एक साथ होने के कारण बहुत ही शुभ योग बन रहा है पूजा का शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त काल- प्रातः 04:14 से प्रातः  04:55
  • अभिजित मुहूर्तकाल – दोपहर 12:00 से दोपहर 12:55
  • विजय मुहूर्त काल- दोपहर 02:44 से दोपहर 03:39
  • गोधुलि बेला काल – शाम 07:17 से शाम 07:38
  • अमृत बेला काल – शाम 06:09  से शाम 07:38
  •  सर्वार्थ सिद्धि – योग पुरे दिन रहेगा

सावन का तीसरा सोमवार

सावन का तीसरा सोमवार 28 जुलाई को व्रत रखा जायेगा यह सोमवार बेहद खाश है क्योंकि इस दिन शिव जी के साथ गड़ेश जी का विशेष संयोग बन रहा है

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और रवि योग बन रहा है .

  • अमृत – सुबह 5.40 – सुबह 7.22
  • शुभ मुहर्त – सुबह 9.04 – सुबह 10.46
  • प्रदोष काल पुजा – शाम 7.15 – रात 8.33

    सावन का चौथा सोमवार

सावन का चौथा सोमवार 4 अगस्त को मनाया जायेगा इस दिन के लिए विशेष मुहूर्त 4:45 से 12:25 बजे तक का समय शुभ माना जाता है

  • ब्रम्ह मुहूर्त – सुबह 4.41 से 05.44
  • अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12.00 से 12.54
  • विजय मुहूर्तकाल – दोपहर 02.41 से दोपहर 03.35
  • गोधूलि मुहूर्तकाल – शाम 07.10 से 07.31

 

   धार्मिक महत्व

पुराणों के अनुसार सावन के माह में समुद्रमंथन हुआ था और उससे हलाहल विष को भगवन शिव ने अपने कंठ में ग्रहण किया.जिस कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला और उन्होंने संसार को विष से बचाया इसके पश्चात सभी देवी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण भोलेनाथ के अभिषेक में जल का विशेष स्थान है। वर्षा ऋतु के चौमासा में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं इस वक्त पूरी सृष्टि भगवान भोलेनाथ के अधीन हो जाती है इसलिए इस श्रवण का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित है।

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